Print Icon पूर्वोत्तर क्षेत्र

सामान्य जानकारी

क्षेत्रफल : 2,55,000 वर्ग कि.मी.
राज्य : अरुणाचल प्रदेश, आसाम, मणिपुर, मेघालय, मिज़ोरम, नागालैंड तथा त्रिपुरा ।
मुख्यालय : शिलांग
पता : क्षेत्रीय अन्वेषण एवं अनुसंधान केंद्र, ए.एम.डी.कॉम्पलेक्स, नांगमिनसाँग, डाकघरः नांगमिनसाँग, शिलांग-793 019.
संपर्क सूत्र : श्री भास्कर बसु, क्षेत्रीय निदेशक
फोन    :    0364-2912102
फैक्स  :    0364-2912104
ईमेल  :    rdner.amd@gov.in

पूर्वोत्तर क्षेत्र, अक्टूबर 15, 1975 से पहले तक, पूर्वी क्षेत्र के अंतर्गत ही  शामिल था और इसका मुख्यालय कोलकाता हुआ करता था जहाँ से सर्वेक्षण कार्य किए जाते थे।

सन् 1976 में, सर्वेक्षण तथा अन्वेषण कार्य को सुगम बनाने के लिए शिलांग में अलग क्षेत्रीय केंद्र की स्थापना,  शुरू में, किराए पर लिए गए के भवन में की गई ।  तत्पश्चात, अप्रैल 1987 के दौरान यह कार्यालय नांगमिनसाँग में अपने निजी परिसर में स्थानांतरित किया गया, जहाँ अधिकारियों तथा कर्मचारियों के लिए आवासीय क्वार्टर्स भी उपलब्ध हैं ।

स्थूल भूवैज्ञानिक लक्षण : 

मोटे तौर पर इस क्षेत्र के अधिकांश भूभाग में निम्नलिखित भूवैज्ञानीय प्रक्षेत्र हैं।

i. आर्कियन आधारीय शैल जो अधिकांश रूप में मेघालय तथा असम में पाए जाते  हैं।

ii. प्रोटेरोज़ॉइक अधिपर्पटीय शैल जिसमें मेघालय में शिलांग समूह के मेटाअवसादों तथा बॉमडिला नाइस, डिरांग शिस्ट, सेला समूह किस्म के शैलों से युक्त अरुणाचल हिमालय के प्रायद्वीपेतर शैल इत्यादि शामिल हैं ।

iii. मेसोज़ॉइक शैल जिसका प्रतिनिधित्व, महाडेक बालुआ पत्थर तथा क्रिटेशस कल्प के कार्बोनाटाइट्स एवं जुरासिक कल्प के सिलहेट ट्रैप्स, करते हैं ।

iv. तृतीय (टर्शियरी) अवसाद जो अरुणाचल प्रदेश, असाम, मेघालय, मणिपुर, त्रिपुरा, नागालैंड तथा मिज़ोरम राज्यों में पाए जाते हैं । इन क्षेत्रों में कुछ जगहों पर तेल के कुँए भी हैं ।

v. 479 से 881 मिलियन वर्ष पूर्व के तरुण ग्रेनाइट्स, जो प्रोटेरोज़ॉइक तथा आर्कियन शैलों में स्थित हैं।

अन्वेषणों का सार : महत्वपूर्ण खोजें

शिलांग में मुख्यालय स्थापित करने के बाद 1976 से इस क्षेत्र में रेडियोमेट्रिक सर्वेक्षण का काम बडे़ पैमाने पर प्रारंभ किया गया । भूवैज्ञानीय अनुकूल मापदंडों को आधार मानकर शुरू में ये सर्वेक्षण क्रिटेशस कल्प के महाडेक अवसादों पर किए गए । परिणामस्वरूप, निम्नलिखित निक्षेपों का पता लगाया गया ।

डोमियासिट : यह निक्षेप-स्थान मेघालय के पश्चिमी खासी हिल्स जिले में है । यह एक बलुआ पत्थर  प्रकार का निक्षेप है जिसमें निचले महाडेक आर्कोज़िक बालुआ पत्थर में प्रचुर कार्बनमय पदार्थ तथा  ग्रेनाइटी आधार के संस्पर्श के निकट पाइराइट में, 50 मीटर तक की ऊर्ध्वाधर गहराई में खनिजीकरण  पाया गया है । प.ख.नि. तथा यू.सी.आई.एल.ने 1993 के दौरान इन संसाधनों का संयुक्त रूप से मूल्यांकन किया तथा अब यह निक्षेप दोहन किए जाने हेतु तैयार  है। 

वाहकिनः यह डोमियासिट के 10 कि.मी.पश्चिम-दक्षिण-पश्चिम में डोमियासिट जैसे ही भूवैज्ञानीय-निर्माण में स्थित है । यहाँ, वाहब्लेई नदी के दोनों किनारों के बड़े भूभाग में खनिजीकरण पाया गया है । वर्तमान में अन्वेषणात्मक ड्रिलिंग कार्य केवल उत्तरी ब्लॉक में ही चल रहा है। वाहकिन के इर्द-गिर्द जैसे वाहकट, वेटिंग, लॉसटॉइन में अन्य कई उत्साहजनक ब्लॉक भी अन्वेषण किए जाने हेतु के लिए उपलब्ध  है। 

इस वातावरण में विद्यमान अन्य छोटे-छोटे निक्षेप निम्न प्रकार से हैं । 

स्थान जिला आतिथेय शैल
तिरनाई पश्चिम खासी हिल्स निचला महाडेक बलुआ पत्थर
गोमाघाट पश्चिम खासी हिल्स निचला महाडेक बालुकाश्म तथा कांग्लोमिरेट
नांगलांग पश्चिम खासी हिल्स निचला महाडेक बलुआ पत्थर
सतीक पश्चिम खासी हिल्स निचला महाडेक बलुआ पत्थर

मेघालय के पूर्व खासी हिल्स जिले में प्रोटेरोज़ॉइक शिलांग समूह के शैलों में तिरसद तथा अरुणाचल प्रदेश के प्रोटेरोज़ॉइक महाकल्प के डेलिंग समूह इत्यादि में भी यूरेनियम प्रदर्शन पाए गए हैं ।

पूर्वोत्तर क्षेत्र में पाये गये अन्य उत्साहजनक यूरेनियम प्राप्य-स्थान निम्नलिखित हैं ।

1.  एनेक, पश्चिमी गारो हिल्स जिला, मेघालयः यूरेनियम खनिजीकरण अपरूपित ग्रेनाइट के रूप में विभंजन से सटा हुआ पाया जाता है । गौण (द्वितीयक) यूरेनियम खनिज जैसे ऑटय़ूनाइट, मेटा-ऑटय़ूनाइट, यूरेनोफेन तथा बीटा-यूरेनोफेन दृश्यांश(आउटक्रॉप) में देखे जा सकते हैं ।

2. काऊ नाला, पश्चिमी सियांग जिला, अरुणाचल प्रदेशः यूरेनियम खनिजीकरण मध्य प्रोटेरोज़ॉइक युग के मैग्नेटाइट-युक्त क्वार्टज़ाइट के साथ है । यूरेनिटाइट तथा ब्रैनिराइट नामक यूरेनियम खनिजों की पहचान की गई है ।

3. जामिरी, कामेंग जिला, अरुणाचल प्रदेशः जामिरी गाँव के समीप फिलिटिक क्वार्टज़ाइट में महत्वपूर्ण यूरेनियम उपस्थितियाँ होने का पता चला है । यूरेनियम खनिज जैसे यूरेनोफेन, बीटा-यूरेनोफेन, यूरेनिनाइट तथा ब्रैनिराइट, प्रकीर्णन (डिसेमिनेशन) व तन्तु (स्ट्रिंजर्स) के रूप में पाए गए हैं ।

यूरेनियम के अलावा इस क्षेत्र में नियोबियम मेघालय के संग घाटी तथा असम के सम्चाम्पी अल्कालाइन कॉम्पलेक्स में कार्बोनेटाइट के साथ पाया गया है । सम्चाम्पी कार्बोनेटाइट कॉम्पलेक्स में महत्वपूर्ण मात्रा में Nb, Ta, Y, P2 O5  Fe तथा LREE पाए गए हैं।

अन्वेषणों के वर्तमान मुख्य लक्ष्य-क्षेत्र

चूँकि निचले महाडेक बलुआ पत्थर यूरेनियम खनिजीकरण के लिए बहुत ही समर्थ आतिथेय शैल के रूप में पहचाने गए हैं इसीलिए  विस्तृत रेडियोमेट्रिक सर्वेक्षण तथा अन्वेषण हेतु ऐसे शैल-क्षेत्रों को, जहाँ भी पाए गए है, विशेषकर मेघालय राज्य में, लक्ष्यगत किए गए हैं ।

प्रोटेरोज़ॉइक शिलांग बेसिन में विषमविन्यास से संबद्ध संभावित यूरेनियम खनिजीकरण हेतु सर्वेक्षण भी किए जाते रहे हैं । शुरुआत में मेघालय तथा असम में पड़ने वाले ऐसे क्षेत्रों में अन्वेषण कार्य किए जा रहे  हैं ।

आयरन ऑक्साइड संकोणाश्म प्रकार के निक्षेपों के लिए भी मेघालय के पश्चिमी गारो हिल्स जिले में अन्वेषण कार्य किए जा रहे हैं ।

पूर्वोत्तर क्षेत्र में उपलब्ध अन्य सुविधाएँ

यह क्षेत्र निम्नलिखित सुविधाओं से सुसज्जित है ।

 

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