वैज्ञानिक एवं तकनीकी संसाधन केंद्र (वै.त.सं.कें) द्वारा निदेशालय के वैज्ञानिकों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक दोनों मीडिया के वैज्ञानिक और तकनीकी संसाधनों का रखरखाव किया जाता है। निदेशालय के सभी पुस्तकालय वै.त.सं.कें के अंतर्गत आते हैं, इनके द्वारा निदेशालय के वैज्ञानिकों के लिए आवश्यक वैज्ञानिक संसाधनों का चयन, क्रय और वितरण किया जाता हैं। वै.त.सं.कें, भू-विज्ञान और इससे संबंधित विषयों की सभी शाखाओं के ज्ञान के अर्जन, संरक्षण और प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
वै.त.सं.कें के पास भू-विज्ञान और इससे संबंधित विषयों पर पुस्तकों, पत्रिकाओं, बाउंड वॉल्यूम, मानचित्र और सीडी-रोम का व्यापक संग्रह है।
वै.त.सं.कें में 62000 से अधिक पुस्तकों और बाउंड जर्नल का संग्रह है। कई पुस्तकें और अनेक प्रकाशन निःशुल्क आधार पर भी प्राप्त होते हैं। इसमें इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी; वियना, जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, जियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया और गृह पत्रिका/जर्नलस जैसे एक्सप्लोरेशन एंड रिसर्च फॉर एटॉमिक मिनरल्स (ईएआरएफएएम), जर्नल ऑफ एटॉमिक मिनरल साइंस (जेओएएमएस) के प्रकाशनों का एक विशेष संग्रह है जो कि निदेशालय के वैज्ञानिकों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण संदर्भ ग्रंथ के रूप में उपलब्ध है ।
निम्नलिखित प्रमुख प्रकाशन संग्रह के रूप में उपलब्ध है:
⇨व्यावहारिक भूविज्ञान, भूभौतिकी, भू-रसायन, सामान्य भूविज्ञान, आर्थिक भूविज्ञान
⇨शैलिकी विज्ञान, खनिज प्रौद्योगिकी, खनन,
⇨परमाणु भौतिकी, परमाणु प्रौद्योगिकी,
⇨खनिज विज्ञान, रसायन विज्ञान, विश्लेषणात्मक रसायन विज्ञान,
⇨इलेक्ट्रॉनिक्स और इंस्ट्रुमेंटेशन
⇨अभियांत्रिकी, कंप्यूटर विज्ञान और
⇨अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA), भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) और भारतीय भूवैज्ञानिक सोसायटी के विशेष प्रकाशन।
भारत में प्रकाशित अधिकांश भू-विज्ञान पत्रिकाओं सहित अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित सर्वश्रेष्ठ भू-विज्ञान पत्रिकाओं की सदस्यता हमें प्राप्त है । पुस्तकालय द्वारा साइंसडायरेक्ट, एल्जेवियर और जियोसाइंसवर्ल्ड, जियो-रिफरेंस ऑनलाइन, अर्थ साइंसेज डेटाबेस और अन्य ओपन एक्सेस जर्नल डेटाबेस और निजी संस्थाओं के प्रकाशन की भी सदस्यता प्राप्त की जाती है । साइंस डायरेक्ट द्वारा एल्जेवियर साइंस की हज़ारों विदेशी पत्रिकाओं में प्रकाशित चुनिंदा लेखों के पूर्ण और सारांश लेख उपलब्ध कराया जाता है। ओपन एक्सेस में भू-विज्ञान, भौतिक विज्ञान और रसायन विज्ञान से संबंधित कई पत्रिकाओं के पूर्ण पाठ उपलब्ध कराये जाते हैं ।
वैज्ञानिक और गैर-वैज्ञानिक दोनों संवर्गों के लिए सामान्य विषयों पर सूचना की जरूरतों को पूरा करने के उद्देश्य से पखनि में सामान्य पुस्तकालय की स्थापना 2003-04 में की गई थी। इसमें सामान्य पुस्तकालय के पुस्तकों का एक बहुउपयोगी संग्रह है जिसमें संदर्भ पुस्तकें जैसे विश्वकोश, ईयरबुक, मानव संसाधन विकास, सामान्य विषयों की पुस्तकें, प्रेरणादायक हिंदी की पुस्तकें तथा अंग्रेजी एवं हिंदी में प्रमुख पत्रिकाओं की सदस्यता भी सम्मिलित है।
वै.त.सं.कें द्वारा न केवल हैदराबाद स्थित पखनि के मुख्यालय के कर्मियों की जरूरतों को पूरा क किया जाता है बल्कि देश के विभिन्न भागों में स्थित सभी सात क्षेत्रीय केन्द्रों (उत्तरी क्षेत्र, दक्षिणी क्षेत्र, पश्चिमी क्षेत्र, पूर्वी क्षेत्र, उत्तर-पूर्व क्षेत्र, मध्यवर्ती क्षेत्र, दक्षिण-मध्य क्षेत्र) और दो अनुभागीय कार्यालयों की भी जरूरतों को पूरा किया जाता है ।
चयनात्मक सूचना का प्रसार (SID): पुस्तकालय में उपलब्ध संसाधनों से चयनात्मक सूचना प्रसार (SID) प्रदान करने के लिए एक अलग अनुभाग स्थापित किया गया है। पुस्तकालय में प्राप्त प्रकाशनों को नियमित रूप से ब्राउज़ किया जाता है और निदेशालय की अन्वेषण गतिविधियों से संबंधित जानकारी मासिक तौर पर पखनि के वैज्ञानिकों को इंट्रानेट के माध्यम से उपलब्ध कराई जाती है।
वै.त.सं.कें की एक प्रमुख विशेषता यह है कि इस केंद्र के अंतर्गत विभिन्न विषयों में विभिन्न प्रकाशनों के लिए प्रासंगिक शोध लेखों का चयन कर सभी वैज्ञानिकों तक इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से ज्ञान का प्रसार किया जाता है। वैज्ञानिक समुदाय की मांग पर शोध लेख भी उपलब्ध कराये जाते हैं।
ई-ग्रंथालय (पुस्तकालय प्रबंधन सॉफ्टवेयर): ई-ग्रंथालय (पुस्तकालय प्रबंधन सॉफ्टवेयर) द्वारा एक डेटाबेस बनाया गया है और जिसके द्वारा वै.त.सं.कें के संसाधनों के बारे में जानकारी प्रदान की जाती है। डेटाबेस इंटरनेट के माध्यम से और ओपीएसीएस (ऑनलाइन पब्लिक एक्सेस कैटलॉग सर्विस) इंटरनेट के माध्यम से सुलभ है।
साहित्यिक चोरी सॉफ्टवेयर:इसके माध्यम से अनुसंधान वैज्ञानिकों और शोध के दौरान एक उच्च मानक स्थापित करने और उसे बनाए रखने में सहायता प्रदान करता है। एक सफल शोध वृत्तिक की मुख्य विशेषता, पाठ की मौलिकता की जांच करना और संभावित साहित्यिक चोरी की रोकथाम के लिए सक्षम होना है । संस्थान में साहित्यिक चोरी का पता लगाने से संबंधित सॉफ्टवेयर उपलब्ध होने से अनुसंधान मानकों और सत्यनिष्ठा को सुनिश्चित किया जा सकता है और अकादमिक रचनात्मक नए विचारों को प्रोत्साहित और सक्षम बनाया जा सकता है। यह शोध पत्रों को प्रकाशित किए जाने की उपयुक्ता को सुनिश्चित करता है और अनुसंधान के स्तर की विश्वसनीयता को और अधिक बढ़ाता है।
पुस्तकालय सेवाएं:
⇨परिसंचरण
⇨संदर्भ और वाचनालय सेवाएं
⇨इंटरनेट आधारित सेवाएं
⇨अंतर-पुस्तकालय ऋण सेवाएं
⇨पखनि की विभिन्न प्रयोगशालाओं में परियोजना कार्य हेतु छात्रों को सेवाएं प्रदान करना।