Print Icon भूवेधन

ड्रिलिंग किसी भी अन्वेषण गतिविधि का मुख्य निष्पादन सूचक है। पखनि में, ड्रिलिंग गतिविधियों को विभागीय और अनुबंध ड्रिलिंग समूहों द्वारा समन्वित किया जाता है। वर्ष 1951 में पखनि ने अनुबंध आधार पर जादुगुड़ा झारखंड, (तत्समय बिहार राज्य) मे ड्रिलिंग कार्य शुरू किया। तत्पश्चात, पखनि ने वर्ष 1954 में चार क्रेलियस डायमंड कोर ड्रिलिंग रिग खरीदकर विभागीय प्रचालनशुरू किया । विभिन्न भूवैज्ञानिक डोमैन में विविध परमाणु खनिजों के सुचारु अन्वेषण हेतु पखनि ने वर्ष 1961 तक क्रेलियस, जॉय और लॉन्गियर द्वारा निर्मित 14 भूवेधन इकाइयों की खरीदी की । समय के साथ देश में स्थापित विभिन्न यूरेनियम खनिज क्षेत्रों मे भूवेधन की क्षमता बढ़ाने हेतु निदेशालय ने नब्बे के दशक तक 60 वेधन इकाइयों (विभिन्न संस्थान निर्मित) द्वारा देश के विभिन्न भागों मे कार्य जारी रखा । भूवेधन क्षमता बढ़ाने हेतु वर्ष 2009-10 के दौरान, पखनि ने प्रथम बार 10 अत्याधुनिक ट्रक / क्रॉलर माउँटेड हाइड्रोस्टैटिक रिग्स का प्रापण किया।वर्तमान में, सात क्षेत्रीय केन्द्रों में 35 ड्रिलिंग रिग (17 मैकेनिकल और 17 हाइड्रोस्टैटिक और 1 डीटीएच - गैर-कोर) प्रचालनरत है। वर्तमान में पखनि, 1200 मीटर गहराई तक भूवेधन करने में सक्षम है। आरंभ से लेकर अक्टूबर 2021 तक पखनि ने 2,499.725 कि.मी. विभागीय भूवेधन किया है ।

विभागीय ड्रिल रिग्स द्वारा ड्रिलिंग प्रचालन के अलावा, पखनि में बड़ी मात्रा में कोरिंग, नॉन-कोरिंग और सोनिक भूवेधन भी अनुबंध के आधार परकिया जा रहा है। यह कार्य प्रतिस्पर्धी बोली के आधार पर सौंपा जाता है। संविदा भूवेधन द्वारा आरंभ से लेकर अक्टूबर 2021 तक 1,704.9246 कि.मी.भूवेधन किया गया है।