Print Icon पश्चिमी क्षेत्र
क्षेत्रफल : 5,49,000 वर्ग कि.मी.
राज्य : राजस्थान, गुजरात  एवं मध्य प्रदेश के भाग
मुख्यालय : जयपुर
पता : क्षेत्रीय अन्‍वेषण एवं अनुसंधान केन्‍द्र, पखनि परिसर, सेक्‍टर-5 विस्‍तार, प्रताप नगर, सांगानेर, जयपुर-302 033
संपर्क सूत्र : एस के शर्मा, क्षेत्रीय निदेशक
फोन      :  0141- 2795401
फैक्स    :  0141- 2795488
ई- मेल: rdwr.amd@gov.in 

प्रारंभ में, उत्‍तरी क्षेत्र से पृथक कर वर्ष 1988 में उत्‍तर-पश्चिमी क्षेत्र की स्‍थापना की गई तथा मुख्‍यालय जयपुर, राजस्‍थान में स्‍थापित किया गया । तत्‍पश्‍चात्, पश्चिमी क्षेत्र के रूप में इसका पुन:नामांकरण किया गया । वर्तमान में, क्षेत्र में स्‍वयं के कार्यालय-सह-प्रयोगशाला एवं आवासीय परिसर में अधिकारियों एवं कर्मचारियों की आवश्‍यकतायें संचालित हैं ।

पश्चिमी क्षेत्र में निम्‍नलिखित विस्‍तृत भूवैज्ञानिक क्षेत्र हैं :-

बैंडेड नाइसिक कॉम्‍पलेक्‍स अरावली और अन्‍य तरुण मेटा-सेडीमेन्‍ट्स के लिये आधार प्रदान करती है इनमें एम्‍फीबोलाइट्स एवं अंतर्वेधित उन्ताला ग्रेनाइट, गिंगला ग्रेनाइट, बेराच ग्रेनाइट आदि के अंतर्वेश पाये जाते हैं ।

अरावली महासमूह की चट्टानें रिफ्ट द्रोणी में निक्षेपित हैं। अरावली में कांग्‍लोमेरेट, आर्कोज, ग्रेवाके, क्‍वार्टज़ाइट, कार्बन फिलाइट, मार्बल, बेसाल्‍ट आदि सम्मिलित हैं । ये चट्टानें अपने बहुचरणीय वलन और बहु विरूपण के लिये प्रख्‍यात हैं । वलन प्रक्रिया के साथ-साथ कुछ ग्रेनाइट जैसे दरवल, आमेट आदि अंतर्भेदित हुये हैं । अरावली द्रोणी के समकक्ष जहाजपुर, पुर-बनेड़ा, पुथौली-हमीरगढ, सावर-बजता आदि विद्यमान है जो इस क्षेत्र के पुरा प्राग्जीवी अनुक्रम के समतुल्य हैं ।

दिल्‍ली वलन पट्टी, चूनापत्‍थर (लाइमस्‍टोन), क्‍वार्टज़ाइट, आर्कोज, क्‍वार्टज़-माइका सिस्‍ट और समकालीन ज्‍वालामुखीय चट्टानों से समावेशित है । ये चट्टानें मुख्‍यत: राजस्‍थान के उत्‍तरपूर्वी एवं दक्षिणपश्चिमी भाग में निक्षेपित हैं और सघन वलन के साथ-साथ विभिन्‍न ग्रेनीटॉयड्स से अंतर्भेदित है ।

राजस्‍थान के पश्चिमी भाग में ऐरिनपुरा और मलानी आग्‍नेय सूइट (MIS) से संबंधित बहुसंख्‍यक तरुण (~800Ma) अंतर्वेधी/बहिर्वेधी चट्टाने उपस्थित हैं । अधिकांशत: बालुकामय और मिश्रित बालुकामय-मृणमय चट्टानों से समावेशित मारवाड़ महासमूह, मलानी आग्‍नेय सूइट (MIS) के ऊपर निक्षेपित है । इसके अतिरिक्‍त, नव-प्राग्‍जीवी विंध्‍य महासमूह की चट्टानों और मेसोज़ोइक काल की डेक्‍कन ट्रेप से आच्‍छादित हैं ।

यहाँ अन्‍वेषण प्रक्रिया मुख्यतः प्राग्‍जीवी और तरुण बेसिन में मेटासोमेटाइट, सतही और मेटामोरफाइट प्रकार के यूरेनियम निक्षेपों का पता लगाने के लिये लक्ष्‍यित किया गया है । क्षेत्र में स्‍थापित कुछ यूरेनियम निक्षेपों का विवरण निम्‍नलिखित है :-

यह उदयपुर जिला, राजस्‍थान के उमरा-उदयसागर-कालामगरा पट्टी में अवस्थित है । आतिथेय शैल, अरावली महासमूह की चूनायुक्त / कार्बनयुक्‍त फिलाइट और डोलोमाइट हैं । यह निक्षेप उमरा मुख्‍य और उमरा उत्‍तर-पूर्व में विभाजित है । यह कायांतरित प्रकार का निक्षेप है जो उमरा मुख्‍य में 650 मी. की लंबाई और उमरा उत्‍तर-पूर्व में 750 मी. की लंबाई में पाया जाता है और क्रमश: 315 मी. एवं 400 मी. की ऊर्ध्वाधर गहराई तक विस्‍तारित है । इस क्षेत्र में यूरेनियम खनिजीकरण, विषम-विन्‍यास प्रकार के दृष्टिकोण से पुन: किया जा रहा है ।

रोहिल क्षेत्र जयपुर से लगभग 100 कि.मी. उ.उ.पू., राजस्‍थान के सीकर जिले में अवस्थित है और उत्‍तर दिल्‍ली वलन पट्टी में विस्‍तारित अल्बिटाइजेशन के उ.उ.पू.-द.द.प. प्रवृत्‍त ज़ोन के साथ विद्यमान है । आतिथेय चट्टानें अजबगढ़ समूह (दिल्‍ली महासमूह) की बायोटाइट सिस्‍ट, ग्रेफाइट सिस्ट और क्‍वार्टज़ाइट हैं जो की कई स्थानों पर अल्बिटाइज्ड हैं । यह अल्बिटाइजेशन से संबंधित मेटासोमेटाइट प्रकार का निक्षेप है और 1850 मी. की लंबाई में 650 मी. की ऊर्ध्वाधर गहराई तक स्‍थापित किया गया है । संलग्नित अधिक्षेत्रों में अन्‍वेषण प्रगति पर है ।

जहाज :यह जयपुर से लगभग 120 कि.मी. उ.उ.पू., राजस्‍थान के झुंझुनु जिले में अवस्थित है । यह निक्षेप उत्‍तर दिल्‍ली वलन पट्टी की अल्बिटाइट रेखा के साथ ही विद्यमान है । जहाज के संलग्नित क्षेत्रों में अन्‍वेषण प्रगति पर है ।

अन्‍वेषण हेतु महत्‍वपूर्ण क्षेत्र : अन्‍वेषण के महत्‍वपूर्ण क्षेत्र मुख्‍यत: निम्‍नलिखित भूवैज्ञानिक वातावरण में अवस्थित हैं :-

(1) मेटासोमेटाइट प्रकार का यूरेनियम निक्षेप :उत्‍तर दिल्‍ली वलन पट्टी में अल्बिटाइजेशन के क्षेत्र को मेटासोमेटाइट प्रकार के यूरेनियम अन्‍वेषण के लिये संभावित क्षेत्र माना गया है । रोहिल और जहाज जैसे निक्षेपों को सिद्ध करने हेतु उत्‍तर दिल्‍ली वलन पट्टी की अल्बिटाइट लाइन के साथ अन्‍वेषण कार्य किया जा रहा है ।

(2) विषमविन्‍यास प्रकार का यूरेनियम निक्षेप : अरावली-दिल्‍ली पुरा प्राग्जीवी मेटा अवसाद और नवप्राग्‍जीवी मारवाड़ महासमूह की चट्टानों को विषम-विन्यास आतिथेय यूरेनियम खनिजीकरण के लिये संभाव्य क्षेत्र माना गया है ।

(3) बालूकाश्म प्रकार का यूरेनियम निक्षेप : पैरी क्रेटॉनिक जैसलमेर द्रोणी 42000 वर्ग कि.मी. के क्षेत्र में राजस्‍थान के जैसलमेर और बाड़मेर जिलों में अवस्थित है जो कि मुख्‍यत: मलानी आग्‍नेय समूह की चट्टानों के ऊपर निक्षेपित है । इस क्षेत्र के निम्न जुरासिक काल के नदीय-डेल्टा लाठी शैल समूह में बहुसंख्‍यीक यूरेनियम की विसंगतियां पाई गई हैं । अत: बालूकाश्म प्रकार के यूरेनियम निक्षेप स्‍थापित करने हेतु विस्‍तृत अन्‍वेषण का कार्य चल रहा है ।

(4) सतही प्रकार का यूरेनियम निक्षेप (कैल्‍क्रीट/प्‍लाया) : प्रतिबंधित निकास प्रणाली, अनुकूल भूवैज्ञानिक संस्‍थापनाओं के साथ पश्चिमी राजस्‍थान की भूआकृतिक और जलवायु संबंधी परिस्थितियां, इस क्षेत्र को सतही प्रकार के यूरेनियम निक्षेप के लिये एक महत्‍वपूर्ण लक्ष्‍य क्षेत्र बनाती हैं ।

(5) विरल धातु एवं विरल मृदा अन्‍वेषण : सिवाना रिंग कॉम्‍पलेक्‍स, बाड़मेर जिला, राजस्‍थान और अंबाडोंगर कार्बोनेटाइट कॉम्‍पलेक्‍स, छोटा उदेपुर जिला, गुजरात में विरल धातु एवं विरल मृदा के लिये अन्‍वेषण प्रगति पर है । इसके अतिरिक्‍त, देवरिया, संगवा, लखोला, सोनियाना एवं दंता-भूनास में राजस्‍थान अभ्रक बेल्‍ट में कोलंबाइट-टेंटलाइट, बेरिल, लेपिडोलाइट धारित पेग्‍मेटाइट उपस्थित हैं ।

यह क्षेत्रीय कार्यालय निम्नलिखित सुविधाओं से सज्जित है :